तुम्हारा आना मानो बारिश के बूँदों का स्पर्श पा प्रकृति का पोर पोर खिल जाना..!! तुम्हारा आना मानो बारिश के बूँदों का स्पर्श पा प्रकृति का पोर पोर खिल जान...
मैं खिल जाती हूँ उजली धूप की तरह। मैं खिल जाती हूँ उजली धूप की तरह।
तो इस कहानी को पूरा करने तो इस कहानी को पूरा करने
फिर कभी नहीं जगमगायी... तेरे जाने बाद... फिर कभी नहीं जगमगायी... तेरे जाने बाद...
क्या रूह अलग कर पाओगे क्या रूह अलग कर पाओगे
अब किनारा पाना ही है। अब किनारा पाना ही है।